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पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के पत्र के बाद न्यायपालिका में हस्तक्षेप से इनकार किया है, उन्होंने कहा कि निगरानी पर बंद कमरे में ब्रीफिंग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए थी।
पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश बाबर सत्तार के पत्र के बाद न्यायिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप के आरोपों से इनकार किया है, जिसमें अधिकारियों पर न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है।
अटॉर्नी जनरल ने स्पष्ट किया कि निगरानी मामलों पर बंद कमरे में ब्रीफिंग का अनुरोध मामले को एक पक्ष में तय करने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए किया गया था।
अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि न्यायिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं है तथा संवेदनशील जानकारी का प्रबंधन अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से किया जाता है।
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