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स्लीप मेडिसिन रिव्यूज़ में 11 अध्ययनों में पाया गया कि स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी का नींद की गुणवत्ता पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ता है।
स्लीप मेडिसिन रिव्यूज़ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में स्मार्टफोन और टैबलेट जैसी स्क्रीनों से निकलने वाली नीली रोशनी के नींद की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव पर सवाल उठाया गया है, तथा दुनिया भर में किए गए 11 अध्ययनों में इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पाया गया है।
नैदानिक मनोवैज्ञानिक माइकल ग्रैडिसर का सुझाव है कि स्क्रीन को नींद को प्रभावित करने वाले कारक के रूप में बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।
यह अध्ययन उस पुरानी धारणा को चुनौती देता है कि सोने से पहले डिवाइस का उपयोग करने से नींद में खलल पड़ सकता है।
5 लेख
11 studies in Sleep Medicine Reviews find no significant impact of blue light from screens on sleep quality.