भारतीय वकील और कार्यकर्ता नए आपराधिक कानूनों का विरोध कर रहे हैं और उनका दावा है कि ये न्याय प्रणाली पर बोझ डालते हैं और पुलिस को अत्यधिक शक्ति प्रदान करते हैं।

भारतीय वकील और कार्यकर्ता 1 जुलाई से लागू किये गये नये आपराधिक कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि इन कानूनों से न्याय प्रणाली पर बोझ पड़ेगा और पुलिस को अत्यधिक शक्ति मिल जायेगी। प्रमुख प्रावधानों में मुकदमा-पूर्व हिरासत के लिए पुलिस की शक्तियों का विस्तार करना, 18 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करना, तथा न्यायाधीशों को मुकदमा समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर लिखित निर्णय जारी करने का आदेश देना शामिल है। आलोचकों का तर्क है कि इन कानूनों से मुकदमेबाजी बढ़ेगी, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पुलिस के दुरुपयोग की संभावना का हवाला देते हुए इन्हें तत्काल निरस्त करने की मांग की है।

July 08, 2024
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