ताज़ा और वास्तविक सामग्री के साथ स्वाभाविक रूप से भाषाएँ सीखें!

लोकप्रिय विषय
क्षेत्र के अनुसार खोजें
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पीएमएलए मामलों में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारियों के लिए नए कानूनी मानक निर्धारित किए हैं, जिसके तहत गिरफ्तारी के लिखित आधार की आवश्यकता होगी तथा प्रक्रियागत या मूल उल्लंघन होने पर तत्काल रिहाई की आवश्यकता होगी।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनमानी और अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों को रोकने के लिए नए कानूनी मानक निर्धारित किए हैं।
न्यायालय ने जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक जांच के महत्व पर बल दिया।
इसमें कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय को अभियुक्त को "गिरफ्तारी का लिखित आधार" उपलब्ध कराना होगा, तथा यदि प्रक्रियागत या वास्तविक उल्लंघन पाए जाते हैं तो अदालतों को गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत रिहा करना होगा।
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि पीएमएलए की धारा 19(1) के तहत गिरफ्तारी का अधिकार जांच के उद्देश्य से नहीं है और इसका प्रयोग केवल तभी किया जा सकता है जब नामित अधिकारी के पास उपलब्ध सामग्री उन्हें लिखित में कारण दर्ज करके राय बनाने में सक्षम बनाती है।
India's Supreme Court sets new legal standards for Enforcement Directorate arrests in PMLA cases, requiring written grounds of arrest and immediate release if procedural or substantive violations occur.