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भारतीय सर्वोच्च न्यायालय इस बात पर निर्णय देगा कि क्या "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" संविधान की प्रस्तावना में बने रहना चाहिए।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी की सरकार के तहत 1976 के 42वें संशोधन द्वारा जोड़े गए संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" को शामिल करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में अदालत ने कहा कि भारत में समाजवाद का अर्थ एक कल्याणकारी राज्य है और धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।
अदालत 25 नवंबर को अपना आदेश सुनाएगी।
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Indian Supreme Court to rule on whether "socialist" and "secular" should remain in the Constitution’s Preamble.