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भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने संसद की संशोधन शक्तियों की पुष्टि करते हुए संविधान में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" को बरकरार रखा।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 1976 में संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" को शामिल करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत ने अनुच्छेद 368 के तहत प्रस्तावना सहित संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति की पुष्टि की।
इसने कहा कि ये शब्द सभी धर्मों के लिए समानता और सम्मान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, इस तर्क को खारिज करते हुए कि वे संविधान के मूल इरादे को विकृत करते हैं।
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Indian Supreme Court upholds "socialist" and "secular" in Constitution, affirming Parliament's amendment powers.