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अध्ययन से पता चलता है कि आम दवाओं के दीर्घकालिक उपयोग से बड़े वयस्कों में मनोभ्रंश का खतरा लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च द्वारा वित्त पोषित नॉटिंघम विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि मूत्राशय की समस्याओं, अवसाद और पार्किंसंस रोग सहित कुछ सामान्य दवाओं के दीर्घकालिक उपयोग से 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मनोभ्रंश का खतरा लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
शोध ने चिकित्सा अभिलेखों का विश्लेषण किया और सुझाव दिया कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को इन एंटीकोलिनर्जिक दवाओं के साथ सतर्क रहना चाहिए, जो अक्सर विभिन्न स्थितियों के लिए निर्धारित की जाती हैं।
अध्ययन रोगियों के साथ संभावित जोखिमों और विकल्पों पर चर्चा करने की सलाह देता है।
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