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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि नशीली दवाओं की बरामदगी में प्रक्रियात्मक त्रुटियां स्वचालित रूप से जमानत नहीं देती हैं।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट की धारा 52ए का पालन करने में विफल रहने से नशीली दवाओं के अपराधों के अभियुक्तों को स्वतः जमानत नहीं मिलती है।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि मादक पदार्थों की जब्ती में प्रक्रियात्मक त्रुटियां साक्ष्य को अस्वीकार्य नहीं बनाती हैं।
निर्णय का मतलब है कि जमानत केवल इन प्रक्रियात्मक मुद्दों के आधार पर नहीं दी जाएगी जब तक कि एनडीपीएस अधिनियम की अन्य शर्तों को पूरा नहीं किया जाता है।
अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय से इस फैसले के आधार पर अपने पहले के जमानत फैसले पर पुनर्विचार करने को भी कहा।
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