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अध्ययन से पता चलता है कि 99.9% लोग डीपफेक का पता नहीं लगा सकते हैं, जिससे पहचान धोखाधड़ी पर चिंता बढ़ जाती है।
आइप्रूव द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 99.9% लोग डीपफेक का सटीक रूप से पता नहीं लगा सकते हैं, जो कि AI-जनित छवियां या वीडियो हैं जो वास्तविक दिखते हैं।
शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि डीपफेक वीडियो को खोजना विशेष रूप से कठिन है, जिसमें प्रतिभागियों द्वारा छवियों की तुलना में नकली वीडियो की सही पहचान करने की संभावना 36 प्रतिशत कम होती है।
जबकि टिंडर और हिंज जैसी डेटिंग साइटों पर सामग्री का केवल एक छोटा सा हिस्सा एआई-हेरफेर है, डीपफेक पहचान धोखाधड़ी और गलत सूचना के बारे में चिंता बढ़ा रहे हैं।
अध्ययन बेहतर बायोमेट्रिक सुरक्षा और ए. आई. साक्षरता की आवश्यकता का सुझाव देता है।
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