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दिल्ली की अदालत ने पितृत्व साबित करने वाले डीएनए के बावजूद सहमति साक्ष्य की कमी का हवाला देते हुए एक व्यक्ति को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बलात्कार के दोषी एक व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि पितृत्व साबित करने वाली डीएनए रिपोर्ट सहमति के अभाव को स्थापित नहीं करती है।
न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि डी. एन. ए. ने पुष्टि की है कि आरोपी पीड़ित के बच्चे का पिता है, लेकिन सहमति के बिना यौन संबंध बनाने के अतिरिक्त सबूतों की कमी है।
अदालत ने महिला की गवाही को भी असंगत पाया और रिपोर्ट करने में उसकी देरी को संदिग्ध पाया।
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Delhi court acquits man of rape, citing lack of consent evidence despite DNA proving paternity.