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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि यू. एन. एच. सी. आर. की सुरक्षा के बावजूद रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित किया जा सकता है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यू. एन. एच. सी. आर. पहचान पत्र होने के बावजूद भारतीय कानून के तहत विदेशी माने जाने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासन का सामना करना पड़ेगा।
अदालत ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए सुनवाई 31 जुलाई के लिए निर्धारित की।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र समझौते से बाध्य नहीं है, और अदालत ने कहा कि जीवन का अधिकार शरणार्थियों पर लागू होता है लेकिन विदेशी अधिनियम के तहत निर्वासन को नहीं रोकता है।
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India's Supreme Court rules Rohingya refugees can be deported, despite UNHCR protections.