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दिल्ली उच्च न्यायालय ने यू. ए. पी. ए. के तहत सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारधाराओं को फैलाने को अवैध ठहराया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सोशल मीडिया मंचों पर कट्टरपंथी विचारधाराओं को फैलाना भारत के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यू. ए. पी. ए.) का उल्लंघन है।
यह निर्णय एक ऐसे मामले में आया जहां अर्सलान फिरोज अहंगर को युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कथित रूप से सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि यू. ए. पी. ए. के तहत गैरकानूनी माने जाने के लिए प्रसार के इस रूप को भौतिक होने की आवश्यकता नहीं है।
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Delhi High Court rules spreading radical ideologies on social media illegal under UAPA.