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भारतीय पत्रकारों को राजद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ता है, जिससे प्रेस की स्वतंत्रता पर चिंता बढ़ जाती है।
भारतीय पत्रकारिता संगठन पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर के खिलाफ राजद्रोह के आरोप वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिन्हें गुवाहाटी पुलिस ने 22 अगस्त को पेश होने के लिए बुलाया है।
इन आरोपों और समन ने भारत में नए आपराधिक प्रावधानों के दुरुपयोग और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरों पर चिंता पैदा कर दी है।
संगठनों का तर्क है कि जिस कानून के तहत आरोप दायर किए गए थे, वह पत्रकारिता को दबाता है और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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Indian journalists face sedition charges, sparking concern over press freedom.