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flag भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने द वायर और जे. एन. यू. के पूर्व प्रोफेसर से जुड़े मामले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की चिंताओं का हवाला देते हुए मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के कदम का संकेत दिया है।

flag भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने समाचार आउटलेट द वायर और जेएनयू की पूर्व प्रोफेसर अमिता सिंह से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए समर्थन का संकेत दिया है। flag न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने आपराधिक मानहानि कानूनों के उपयोग पर सवाल उठाया, विशेष रूप से निजी विवादों में, और लंबी कानूनी लड़ाई पर चिंता व्यक्त की जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबा सकती है। flag अदालत ने द वायर चलाने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म की एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें 2016 की एक रिपोर्ट पर समन को चुनौती दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिंह ने जेएनयू में एक सेक्स रैकेट पर एक डोजियर प्रस्तुत किया था। flag अदालत ने विशेष रूप से मीडिया मामलों में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के साथ प्रतिष्ठा के अधिकारों को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए मुकदमे पर रोक लगा दी है। flag यह फैसला औपनिवेशिक युग के कानूनों की बढ़ती जांच को दर्शाता है और भारत में भविष्य के कानूनी सुधारों को प्रभावित कर सकता है।

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