जलवायु परिवर्तन के कारण कश्मीर की शफरन की खेती को खतरा है, जिससे पैदावार कम हो रही है।

कश्मीर की शफरन की खेती को ग्लोबल वार्मिंग से खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पैदावार में गिरावट और स्थानीय किसानों के लिए अनिश्चितता है। एक समय में 17 टन प्रतिवर्ष उत्पादन होता था, लेकिन अब यह मौसम की अस्थिरता और कम बर्फबारी के कारण लगभग 15 टन के आसपास स्थिर हो गया है। उन्नत अनुसंधान केंद्र किसानों को सहायता देने के लिए सिंचाई अनुसूची और मार्गदर्शन तैयार कर रहा है। सरकार पहल करती है, जिसमें एक साफ़ोफ़ॉन पार्क और एक भौगोलिक क्षेत्र टैग भी शामिल है, इस अत्यावश्‍यक सांस्कृतिक और आर्थिक संसाधन को बनाए रखने का लक्ष्य रखती है ।

September 21, 2024
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