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वैश्विक आर्थिक संकटों के बावजूद भारत की इस्पात की खपत में वृद्धि हुई, लेकिन आयात बढ़ गया है, जिससे स्थानीय कंपनियों पर दबाव पड़ रहा है।
वैश्विक मंदी के बावजूद वर्ष की पहली छमाही में भारत की इस्पात की खपत बढ़ी, लेकिन घरेलू कीमतें आयात लागत से कम हो गई हैं, जिससे टाटा और जेएसडब्ल्यू जैसी प्रमुख इस्पात कंपनियों को नुकसान हुआ है।
आयात 41 प्रतिशत बढ़कर 47.3 लाख टन हो गया, जिससे स्थानीय उत्पादकों पर दबाव पड़ा।
इस्पात मंत्रालय ने 2030 तक 30 करोड़ टन क्षमता का लक्ष्य रखा है, जिसमें 120 अरब डॉलर के निवेश की आवश्यकता है, ताकि शुद्ध आयातक बनने से बचा जा सके।
भारतीय मानक ब्यूरो गुणवत्तापूर्ण इस्पात उत्पादन और आयात सुनिश्चित कर रहा है।
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India's steel consumption surged despite global economic woes, but imports are up, pressuring local firms.