'हमेशा के रसायनों' के लिए प्रारंभिक जीवन का संपर्क चूहों में आंत के माइक्रोबायोम को बाधित करता है, जो संभावित रूप से मोटापे और टाइप 2 मधुमेह में योगदान देता है।
पेन स्टेट के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक नए अध्ययन से पता चलता है कि 2,3,7,8-टेट्राक्लोरोडिबेनजोफुरान (टीसीडीएफ) जैसे पर्यावरण में 'हमेशा के रसायनों' के लिए प्रारंभिक जीवन जोखिम, चूहों में आंत के माइक्रोबायोम को स्थायी रूप से बाधित करता है, जिससे बाद के जीवन में मोटापा और टाइप 2 मधुमेह जैसे चयापचय रोगों का विकास होता है। शोध से पता चलता है कि बचपन में इन रसायनों के संपर्क में आने से हाल ही में चयापचय संबंधी विकारों की महामारी में योगदान हो सकता है। अध्ययन में पाया गया कि प्रारंभिक जीवन में टीसीडीएफ के संपर्क में आने से जीवन में बाद में आंत के माइक्रोबायोम फ़ंक्शन और स्वास्थ्य परिणामों में गड़बड़ी हो सकती है, यहां तक कि रसायन शरीर से समाप्त होने के बाद भी। शोधकर्ताओं का प्रस्ताव है कि भविष्य के शोध से प्री- और प्रोबायोटिक्स के पूरक के माध्यम से एक व्यक्ति के माइक्रोबायोम को उसकी इष्टतम स्थिति में बहाल किया जा सकता है, जो इन रसायनों के संपर्क में आने के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।